Wednesday 16 November 2011

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Wednesday 9 November 2011

तब काशी में नहीं बहेगी उल्टी गंगा

तब काशी में नहीं बहेगी उल्टी गंगा
• अरविंद मिश्र
वाराणसी। पुराण में कई सत्य वर्णित हैं। इसमें एक सत्य ऐसा है जिसके दर्शन अब भी काशी में होते हैं। वह सत्य है काशी में उल्टी गंगा के बहने का। काशी में अब भी गंगा दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है। लेकिन, काशी में गंगा में हो रहे खतरनाक भौगोलिक परिवर्तन से पौराणिक सत्य के इस प्रमाण पर ग्रहण लगाता प्रतीत हो रहा है। एक के बाद दो धाराओं में बंट चुकी गंगा पर तीसरी धारा में विभक्त होने का खतरा भी मंडरा रहा है। यदि ऐसा हुआ तो अगले वर्ष से उल्टी गंगा का प्रवाह भी बदल जाएगा।
इन परिवर्तनों से बेखबर शासन-प्रशासन और जनसंगठन जब तक चेतेंगे शायद तब तक कहीं देर न हो जाए। चौंकिए नहीं आप के जेहन में काशी में गंगा में एक ही धारा है लेकिन इस वर्ष बाढ़ उतरने के बाद काशी में गंगा की दो धाराएं दिखने लगी हैं। यदि यही स्थिति बनी रही तो अगले वर्ष की बाढ़ के बाद पूरब की ओर कटेसर गांव के सामने से गंगा में एक और धारा प्रवाहित होती दिखेगी। वैसे तो दूसरी धारा का निर्मण दशाश्वमेध के सामने से ही शुरू हुआ है लेकिन कुछ दूर जाकर रेत फिर गंगा में समा गई और गंगा एकाकार हो गई हैं। किंतु इसी स्थान से लगभग 110 अंश के कोण पर दक्षिण में आगे बढ़ने पर मानसरोवर घाट के सामने से रामनगर तक बीच गंगा में रेत का दैत्याकार टीला उभरा है। इस टीले से पूरब की ओर गंगा की जल धारा करीब करीब अस्सी घाट के सामने तक अपना रास्ता बना चुकी है। दिन ब दिन इस धारा की लंबाई उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती ही जा रही है। कटेसर गांव के नजदीक से गंगा की एक धारा उत्तर की ओर बढ़ रही है। ठीक ऐसी ही स्थिति गत वर्ष उस जगह बनी थी जहां इस वर्ष बाढ़ उतरने के बाद दूसरी धारा दिखाई पड़ने लगी है। ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि शीघ्र ही बालू खनन की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई तो अगले वर्ष बाढ़ के बाद गंगा की तीसरी धारा भी अस्तित्व में आ सकती है।
•बाढ़ के बाद दो धाराएं दिखने लगीं